What Does भाग्य Vs कर्म Mean?
What Does भाग्य Vs कर्म Mean?
Blog Article
मैं-जी हां आचार्य जी (सभी उन्हें आचार्य जी कह कर बुला रहे थे)
आचार्य जी, मैं समझ रहा हूं की आप क्या कहना चाहते हैं पर ये आप भी भली-भांति जानते हैं कि ज्योतिषाचार्य ग्रह नक्षत्र देखकर बता सकते हैं की अच्छा और बुरा वक्त कब आना वाला है और हमें किस तरह की बातों पर ध्यान देना है कि उस समय को हम अच्छी तरह निकाल सकें।
हर चीज एक कर्म है, कुछ करना एक कर्म है और कुछ न करना भी एक तरह का कर्म है।
सच्चाई, ईमानदारी और सकारात्मक दृष्टिकोण व्यवसाय में सपनों और सफलता को जन्म दे सकते हैं। दूसरी ओर, धोखा देना, विलंब करना और समग्र नकारात्मकता विनाशकारी है और असफलता का कारण बनती है।
संसार में तीन प्रकार के लोग हैं। एक भाग्यवादी, जो कि मानते हैं कि सब कुछ पहले से ही नियत है इसलिए पुरुषार्थ करके भी क्या बदल जाएगा। दूसरे हैं पुरुषार्थवादी, website जिन्हें लगता है कि भाग्य कुछ नहीं होता, कर्म ही सब कुछ है। तीसरे होते हैं परमार्थी, जो परमअर्थ अर्थात परमात्मा को ही सब कुछ मानते हुए लाभ-हानि में सम रहकर जीवन व्यतीत करते हैं। मनीषियों ने तीसरी श्रेणी के लोगों को उत्तम प्रवृत्ति का बताया है। ऐसे व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में आनंदमय अर्थात शांत भाव से जीवन-यापन करते हैं।
Geeta mai bhi shrikrishnene kaha hai “karmne vadhikaraste maa faleshu kadachan……….” indicates Kam krte ja, madat milengi lekin fal ki apeksha mat krna
न जाने कितने नाम हैं जिन्होंने महागारीबी से महाअमीरी तक का सफ़र तय किया
या इतना महत्वाकांक्षी भी होता है
आज एक बालक निजी विद्यालय में पढ़ता हे और दूसरा शिक्षा से वंचित है ,क्या ये उस बालक का दुर्भाग्य नही?
बाकी उसी को बेमन से पढ़ते रहे , असफल होते रहे और भाग्य को दोष देते रहे
जैसे भारत-पाकिस्तान में डील करवाई, ईरान-इजरायल के बीच भी होगी शांति: ट्रंप
आज हमारी डिबेट का टॉपिक इन्ही विरोधाभाषी विचारों को लेकर है. हमारा टॉपिक है-
कोई किसी की बुराई अथवा तारीफ क्यों और कब करता है? कैसे और कब बदल जाते हैं मनुष्य के विचार एक दूसरे के प्रति
Report this page